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मेरे कानों की बाली मुझसे कहती है कोई गजल सुनाने को

मेरे कानों की बाली मुझसे कहती है कोई गजल सुनाने को
राज़-ए-मख़्फी़ ये है कोई नज़म-पैकर ना समझ ले

मैं दिल रख़ आया हूं हवाओं से बुझते चरागों के ताक पे
दिल बीमार है,मसला ये हैं कोई दिल-फरेब ना समझ ले

©Aliza siddiquee #Earring
मेरे कानों की बाली मुझसे कहती है कोई गजल सुनाने को
राज़-ए-मख़्फी़ ये है कोई नज़म-पैकर ना समझ ले

मैं दिल रख़ आया हूं हवाओं से बुझते चरागों के ताक पे
दिल बीमार है,मसला ये हैं कोई दिल-फरेब ना समझ ले

©Aliza siddiquee #Earring