मेरी कहानियां मेरे पास दो बैल था।जो हमारे साथ खेती करने का काम करता था।खेतों की तरफ ही एक छुट्टा सांड रहता था जो किसी को काम नहीं करने देता था संयोग से उस दिन मेरे सामने आ गया अब मैं डर कर पेंड पर जा बैठा और दोनों बैलों को छोड़ दिया ।वो लफंगा सांड अपनी धुन में आ कर मेरे बैलों को मारने दौड़ा मेरा तो कलेजा मुंह को आ गया लेकिन ये क्या दोनों बैलों ने सूझ बूझ के साथ उसे चारों खाने चित्त कर दिया ।अब तो मेरी बल्ले बल्ले हो गई ।अब मैं बेखौफ़ अपना काम करने लगा ।ये मेरे इन बैल मित्रों की वजह से सम्भव हो सका । ©Rajkumar Sharma मेरे कृषि मित्र #BirthDay