#मंज़िल गुमनाम राहों पे अश्क़ों की बरसात ले कर चले,, ख्वाहिशो की खातीर यादों की बारात ले कर चले,, कुछ तन्हा-तन्हा था सफर कुछ सुनी-सुनी थी रात,, सर-ए-राह-तलब हाथो में हम चराग़ ले कर चले.. दिल थाम कर कुछ हसीन जज़्बात ले कर चले,, अपनों से दूर दिल में अपनों की सौगात ले कर चले,, दिल-ए-नादान की कुछ अनकही ख्वाहिशो की खातीर,, मंज़िल की ज़ानिब 'साबिर' दुआएँ साथ ले कर चले.. -साबिर बख़्शी मंज़िल #yqbaba #yqhindi #yqpoetry #yqquotes #मंज़िल #मंज़िल_की_ओर