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जो न जाने किसके भीतर सो रहा है? कब उसकी तन्द्रा टू

जो न जाने किसके भीतर सो रहा है?
कब उसकी तन्द्रा टूटेगी?
कौनसी कैकई फिर स्वार्थ में अंधी होकर
मांगेगी सिंहासन?
शायद घर-घर की सीतायें
छिनी जाएंगी रावण के हाथों,
तब जागेगा राम और.….
दर-दर, चौराहे-चौराहे पर बिछी
पापी और भ्रष्टरावण की बिसातें होंगी ठोकरों में
लेकिन,शायदअभी भरा नहीं है
घड़ा रावण के पापों का,
अभी तो जी भर सोएगा राम!
हाँ,सो लेने दो उसे जी भर के
और दीवाली यूँ ही आती जाए
दीये जल-जल कर रोशनी के लिए करते रहे लड़ाई
राम की सुबह न जाने कब होगी?
दीवाली अपना मर्म कब खोलेगी???

©अंजलि जैन #रोशनी के लिए....#२६.०९.९४#पुरानी डायरी के पन्नों से
जो न जाने किसके भीतर सो रहा है?
कब उसकी तन्द्रा टूटेगी?
कौनसी कैकई फिर स्वार्थ में अंधी होकर
मांगेगी सिंहासन?
शायद घर-घर की सीतायें
छिनी जाएंगी रावण के हाथों,
तब जागेगा राम और.….
दर-दर, चौराहे-चौराहे पर बिछी
पापी और भ्रष्टरावण की बिसातें होंगी ठोकरों में
लेकिन,शायदअभी भरा नहीं है
घड़ा रावण के पापों का,
अभी तो जी भर सोएगा राम!
हाँ,सो लेने दो उसे जी भर के
और दीवाली यूँ ही आती जाए
दीये जल-जल कर रोशनी के लिए करते रहे लड़ाई
राम की सुबह न जाने कब होगी?
दीवाली अपना मर्म कब खोलेगी???

©अंजलि जैन #रोशनी के लिए....#२६.०९.९४#पुरानी डायरी के पन्नों से
anjupokharana7639

Anjali Jain

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