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#बोलीवुड_का_महाभारत पार्ट-1 #सुशांत_सिंह_राजपूत (ए

#बोलीवुड_का_महाभारत पार्ट-1
#सुशांत_सिंह_राजपूत (एक प्रतिभा का दुखद अंत)

आत्महत्या अपने ही आत्म-हनन की वो प्रक्रिया है जिसमें ये फैसला करने वाला अपने फैसले के भावी परिणाम म्रत्यु को अच्छे से जानता है। डॉ. दुर्खीम द्वारा दी गई आत्महत्या ऐ परिभाषा यही बताती है कि अपने फैसले का परिणाम जानने वाला कमजोर नहीं होता।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के हिसाब से भारत में प्रति दिन 365 लोग आत्महत्या करते हैं। यूं तो ये आंकड़े पूरी आवदी का महज 0.01% है, पर फिर भी एक साल के आंकड़े लगभग 1.25 लाख से ज्यादा होते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों की आत्महत्या को आपसी और पारिवारिक सहमति से एक्सीडेंटल डैथ/नैचुरल डैथ बताया जाता है। आमतौर पर ऐसा भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में होता है।
आगे में जो कहने और बताने जा रहा हूँ उसके लिए जरूरी है कि आपने मुंशी प्रेमचंद की "सवा सेर गेहूं" और शंकर शेष की "एक और द्रोणाचार्य" जैसी क्रति पढीं हो। ताकि कभी न तोड़ी जा सकने वाली व्यवस्था को अच्छे से जान पायेंगे, जो सुशांत के साथ हुआ वो पहली बार नहीं है और शायद आखिरी बार भी नहीं। ये व्यवस्था तो महाभारत काल से व्याप्त है, उस वक्त इसका शिकार "एकलव्य" था, और शिकारी थे "गुरु द्रोणाचार्य" और आज के भारत में द्रोणाचार्य हैं "आदित्य चोपड़ा" (यशराज फिल्म्स) और एकलव्य था "सुशांत सिंह राजपूत"
शायद हम सबने बहुत तरक्की करली, कई बुलंदियों को छू लिया, यही वजह है कि जो गुरूदक्षिणा एकलव्य ने अपने दाहिने हाथ का अंगूठा दे कर दी वही गुरुदक्षिणा सुशांत को अपनी जान देकर देनी पडी।
द्रोणाचार्य ने ऐ सब किया क्योंकि वो सिर्फ करोवों और पंड़ावों को ही धनुर्धर बनता देखना चाहते थे। उन्होंने अर्जुन (पांच पांड़वों में से एक) से कहा था कि वही दुनियां का सबसे बड़ा धनुर्धर बनेगा लेकिन एकलव्य की प्रतिभा ने उनके अहंकार को ठेस पहूंचाई, और उन्होंने उस प्रतिभा को बहुत ही निर्दयी तरीके से कुचल दिया। उस युग में द्रोणाचार्य के जो शिष्य थे वो आज के युग के स्टार किड्स (सूरज पंचोली, हर्शवर्धन कपूर, अर्जुन कपूर, करण देओल, अहान सेट्टी आदि) हैं। एक और किरदार है शकुनि जिस किरदार को आज के युग में करन जौहर "धर्मा प्रोडक्शन" निभाते हैं, जो पूरी तरह से कोरबों (फिल्मी कुनबे) का जिम्मा उठाते हैं, और सुशांत सिंह का मर्डर प्लान करते हैं। जिसे जानने और समझने के लिए आपका पर्दे के पीछे क्या हुआ ये जानना जरूरी है, जरूरत है ये जानने की... कि टैलेंट एजेंसी से लेकर कास्टिंग डायरेक्टर तक, राईटर, डायरेक्टर से लेकर प्रोड्यूसर (एक या एक से अधिक) और डिस्ट्रीब्यूटर तक की क्या भूमिका होती है एक प्रतिभा को बनाने में या अवसाद के दलदल में धकेलने की, सुशांत जैसी प्रतिभा को कुचलने की, आत्महत्या के लिए विवश करने की.?
मैं आपको सुशांत का पूरा करियर और करियर में आए उतार-चढाव बताता हूँ। मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी 'सवा सेर गेहूं' के शंकर की तरह बालाजी टेलीफिल्म्स/एकता कपूर सुशांत से काम कराते हैं, और चाहते हैं कि वो उन्हीं के साथ काम करता रहे, उसे फिल्म करने से मना करते हैं। क्यूंकि पवित्र रिश्ता उनका शो था जिसमें सुशांत की जगह बाद में हितेन तेजवानी लेते हैं। और एक बच्चे की तरह जिद करके एक बार के लिए कह कर जाने वाला सुशांत सिंह राजपूत जैसा बच्चा जब लौटकर नहीं आता तो बालाजी टेलीफिल्म्स को एक साल बाद ही पवित्र रिश्ता बंद करना पड़ता है, क्योंकि कि दर्शकों ने हितेन तेजवानी को सुशांत की जगह स्वीकार नहीं किया। मसलन सुशांत सिंह करियर में आगे बढ़ने की सीढ़ियां तो चढ़ते हैं लेकिन पीछे लोटने की सीढ़ियां भी खुद ही तोड़कर जाते हैं। और परदे के पीछे के दो मशहूर लोग- एकता कपूर और विकास गुप्ता का दिल तोड़ जाते हैं।
क्रमशः ... #SushantSinghRajput #Suicide #Murder #mystery #Bollywood 
#AwaraWriterGwalior
#बोलीवुड_का_महाभारत पार्ट-1
#सुशांत_सिंह_राजपूत (एक प्रतिभा का दुखद अंत)

आत्महत्या अपने ही आत्म-हनन की वो प्रक्रिया है जिसमें ये फैसला करने वाला अपने फैसले के भावी परिणाम म्रत्यु को अच्छे से जानता है। डॉ. दुर्खीम द्वारा दी गई आत्महत्या ऐ परिभाषा यही बताती है कि अपने फैसले का परिणाम जानने वाला कमजोर नहीं होता।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के हिसाब से भारत में प्रति दिन 365 लोग आत्महत्या करते हैं। यूं तो ये आंकड़े पूरी आवदी का महज 0.01% है, पर फिर भी एक साल के आंकड़े लगभग 1.25 लाख से ज्यादा होते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों की आत्महत्या को आपसी और पारिवारिक सहमति से एक्सीडेंटल डैथ/नैचुरल डैथ बताया जाता है। आमतौर पर ऐसा भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में होता है।
आगे में जो कहने और बताने जा रहा हूँ उसके लिए जरूरी है कि आपने मुंशी प्रेमचंद की "सवा सेर गेहूं" और शंकर शेष की "एक और द्रोणाचार्य" जैसी क्रति पढीं हो। ताकि कभी न तोड़ी जा सकने वाली व्यवस्था को अच्छे से जान पायेंगे, जो सुशांत के साथ हुआ वो पहली बार नहीं है और शायद आखिरी बार भी नहीं। ये व्यवस्था तो महाभारत काल से व्याप्त है, उस वक्त इसका शिकार "एकलव्य" था, और शिकारी थे "गुरु द्रोणाचार्य" और आज के भारत में द्रोणाचार्य हैं "आदित्य चोपड़ा" (यशराज फिल्म्स) और एकलव्य था "सुशांत सिंह राजपूत"
शायद हम सबने बहुत तरक्की करली, कई बुलंदियों को छू लिया, यही वजह है कि जो गुरूदक्षिणा एकलव्य ने अपने दाहिने हाथ का अंगूठा दे कर दी वही गुरुदक्षिणा सुशांत को अपनी जान देकर देनी पडी।
द्रोणाचार्य ने ऐ सब किया क्योंकि वो सिर्फ करोवों और पंड़ावों को ही धनुर्धर बनता देखना चाहते थे। उन्होंने अर्जुन (पांच पांड़वों में से एक) से कहा था कि वही दुनियां का सबसे बड़ा धनुर्धर बनेगा लेकिन एकलव्य की प्रतिभा ने उनके अहंकार को ठेस पहूंचाई, और उन्होंने उस प्रतिभा को बहुत ही निर्दयी तरीके से कुचल दिया। उस युग में द्रोणाचार्य के जो शिष्य थे वो आज के युग के स्टार किड्स (सूरज पंचोली, हर्शवर्धन कपूर, अर्जुन कपूर, करण देओल, अहान सेट्टी आदि) हैं। एक और किरदार है शकुनि जिस किरदार को आज के युग में करन जौहर "धर्मा प्रोडक्शन" निभाते हैं, जो पूरी तरह से कोरबों (फिल्मी कुनबे) का जिम्मा उठाते हैं, और सुशांत सिंह का मर्डर प्लान करते हैं। जिसे जानने और समझने के लिए आपका पर्दे के पीछे क्या हुआ ये जानना जरूरी है, जरूरत है ये जानने की... कि टैलेंट एजेंसी से लेकर कास्टिंग डायरेक्टर तक, राईटर, डायरेक्टर से लेकर प्रोड्यूसर (एक या एक से अधिक) और डिस्ट्रीब्यूटर तक की क्या भूमिका होती है एक प्रतिभा को बनाने में या अवसाद के दलदल में धकेलने की, सुशांत जैसी प्रतिभा को कुचलने की, आत्महत्या के लिए विवश करने की.?
मैं आपको सुशांत का पूरा करियर और करियर में आए उतार-चढाव बताता हूँ। मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी 'सवा सेर गेहूं' के शंकर की तरह बालाजी टेलीफिल्म्स/एकता कपूर सुशांत से काम कराते हैं, और चाहते हैं कि वो उन्हीं के साथ काम करता रहे, उसे फिल्म करने से मना करते हैं। क्यूंकि पवित्र रिश्ता उनका शो था जिसमें सुशांत की जगह बाद में हितेन तेजवानी लेते हैं। और एक बच्चे की तरह जिद करके एक बार के लिए कह कर जाने वाला सुशांत सिंह राजपूत जैसा बच्चा जब लौटकर नहीं आता तो बालाजी टेलीफिल्म्स को एक साल बाद ही पवित्र रिश्ता बंद करना पड़ता है, क्योंकि कि दर्शकों ने हितेन तेजवानी को सुशांत की जगह स्वीकार नहीं किया। मसलन सुशांत सिंह करियर में आगे बढ़ने की सीढ़ियां तो चढ़ते हैं लेकिन पीछे लोटने की सीढ़ियां भी खुद ही तोड़कर जाते हैं। और परदे के पीछे के दो मशहूर लोग- एकता कपूर और विकास गुप्ता का दिल तोड़ जाते हैं।
क्रमशः ... #SushantSinghRajput #Suicide #Murder #mystery #Bollywood 
#AwaraWriterGwalior