*राज जिंदगी का यूं हमसे छिपा गयी जिंदगी, सरे राह महफ़िल में यूं मूर्ख बना गयी जिंदगी। देखते रहे हम अपनी मौत का तमाशा, मालूम नहीं हमको, किस जन्म का हिसाब लगा गयी जिंदगी। राज जिंदगी.................. ढूंढते रहे हम रिश्तों की अहमियत यहां वहां, भटके मुसाफ़िर बनके पता न हमें कहां-कहां,