देख कर मुझे, तेरा मुस्कुराना, वही अधरों की मुस्कान श्रृँगार मोहब्बत का। नज़रों से ज़रा, ओझल होऊँ, तब दिखे तुझमें, जो बेचैनी वही श्रृँगार मोहब्बत का। चूड़ी, बिंदिया सब गौण, ह्रदय से लगाकर, मेरा माथा चूमना वही, श्रृँगार मोहब्बत का। ♥️ Challenge-536 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।