एक झरोखा खुल जाता है,इतनी गुंजाइश है बहुत बेरहम है यह शहर,जीने की चाहत है हर डगर में भगवान घर बना,धर्म का नाम है निज भवन का अग्नि कोण,संगमरमर का है सिद्धान्त प्रतिपादित हो रहे हैं,विद्वान सजग है आधुनिकता का सामंजस्य प्रयोगशाला तक है राजनीति का आक्रोश कभी ठंडा नहीं पड़ता है लोकतंत्र का सफल चुनाव,साँस नहीं लेता है एक झरोखा खुल जाता है,जीने की नव राह है प्रयास का असुर प्रचंड हो,आत्महत्या करवाता है अर्थ का अनर्थ!मूल अधिकार का दुरूपयोग सुप्रभात। जब अँधेरे से बाहर निकलने की उत्कंठ इच्छा जागृत हो जाती है, तो कोई न कोई झरोखा खुल ही जाता है। #झरोखा #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #विप्रणु #yqdidi #inspiration #poetry