धीरे से तू बहता रह धीरे से तू चलता रह अपना पराया फर्क ही कहां सबको हिस्सा तू देता रह खिलना और मुरझाना काम ही है इन फूलों का इनको फिकर तेरी कहा अौर तुझे इसका अफसोस कहां बहना तेरी फितरत में है ,चलना तेरी आदत सी है राह न छोड़ तू चलता रह धीरे से हीं सही पर तू बहता रह ~ks धीरे से तू बहता रह धीरे से तू चलता रह