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झूठे रिश्तों में उलझकर हम सब कुछ अपना बाँट रहे हैं

झूठे रिश्तों में उलझकर हम सब कुछ अपना बाँट रहे हैं।
राज करने वाले, दिखावे की खातिर यहां-वहां तलवे चाट रहे हैं।
हम ये कैसे आज़ाद पंछी बन गए हैं कि उड़ने में भी परेशानी है
ज़माने की हवा में बहकर, अपने ही पंख काट रहे हैं।।

©Rohit Bhargava (Monty) #swiftbird  attitude shayari
झूठे रिश्तों में उलझकर हम सब कुछ अपना बाँट रहे हैं।
राज करने वाले, दिखावे की खातिर यहां-वहां तलवे चाट रहे हैं।
हम ये कैसे आज़ाद पंछी बन गए हैं कि उड़ने में भी परेशानी है
ज़माने की हवा में बहकर, अपने ही पंख काट रहे हैं।।

©Rohit Bhargava (Monty) #swiftbird  attitude shayari