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*छूट गए कई लोग,टूट गए कई रिश्ते,* *मुस्कुराकर देख

*छूट गए कई लोग,टूट गए कई रिश्ते,*
*मुस्कुराकर देख रहे मुझे ऊपर बैठे फरिश्ते।*

*निकल रहा है पल दर पल जिंदगी किसी आस में,*
*ज़माना ढूंढता है मुझे,और मैं मग्न हूं खुद की तलाश में।*

*हाथ धोकर पड़ा हूं खुद के पीछे, कमबख्त जान छूटता ही नही,*
*अंबुजा सीमेंट का बना है मेरे सब्र का बांध, टूटता ही नहीं।*

*_पढ़कर फेंक देते हैं लोग,चुटकुले की किताब सा हूं,_*
*_गम में नशे की तरह इस्तेमाल करते हैं हैं,महंगी शराब सा हूं।_*

*_ज़ख्म पर मलहम की तरह इस्तेमाल करते हैं दवा की तरह,_*
*_जी भर जाता है तो निकाल फेंकते हैं,बैलून के हवा की तरह।_*

*_आते हैं मेरे घर लूटने लूटने कुछ लुटेरे,गम का खजाना कोई लूटता ही नहीं,_*
*_अंबुजा सीमेंट का बना है मेरे सब्र का बांध टूटता ही नहीं।_* #NishantJhaShayri #YourQuote
*छूट गए कई लोग,टूट गए कई रिश्ते,*
*मुस्कुराकर देख रहे मुझे ऊपर बैठे फरिश्ते।*

*निकल रहा है पल दर पल जिंदगी किसी आस में,*
*ज़माना ढूंढता है मुझे,और मैं मग्न हूं खुद की तलाश में।*

*हाथ धोकर पड़ा हूं खुद के पीछे, कमबख्त जान छूटता ही नही,*
*अंबुजा सीमेंट का बना है मेरे सब्र का बांध, टूटता ही नहीं।*

*_पढ़कर फेंक देते हैं लोग,चुटकुले की किताब सा हूं,_*
*_गम में नशे की तरह इस्तेमाल करते हैं हैं,महंगी शराब सा हूं।_*

*_ज़ख्म पर मलहम की तरह इस्तेमाल करते हैं दवा की तरह,_*
*_जी भर जाता है तो निकाल फेंकते हैं,बैलून के हवा की तरह।_*

*_आते हैं मेरे घर लूटने लूटने कुछ लुटेरे,गम का खजाना कोई लूटता ही नहीं,_*
*_अंबुजा सीमेंट का बना है मेरे सब्र का बांध टूटता ही नहीं।_* #NishantJhaShayri #YourQuote
nishantjha2339

Nishant Jha

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