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White #नेवान खाली पूजा पाठ के ना सामाजिक समता के भ

White #नेवान खाली पूजा पाठ के ना सामाजिक समता के भी प्रतीक हवे 
केतना बढ़िया रहे न उ समय जब बसंत पंचमी के दिन हमनी के सबेरे सबेरे जगा के माई बोले कि ए बेटा नहा धो के पूजा कर ल आज नेवान हवे, आ हमनी के झूठे मूठें आंख मून के बिछौना पर परल रहल जा कि अब्बे घाम होई त निकल जाई। फिर जबरदस्ती माई पकड़ के बिछौना से लावे आ जल्दी जल्दी नित्य क्रिया से लौटे के बाद गर्म पानी में तनी सा ठंडा पानी मिलाके नहवा देवे। फिर कुछ पिसान,सब्जी आ पईसा डलिया में ध के देवे आ कहे कि बेटा भगवान के नाम ले के छू ल आ पुरोहित जी के घर दे आव। फिर ओह दिन जब हमनी के स्कूल से घर आवल जा ता मुंह हाथ धो के खाना खइला के बाद इया कहे कि अब बाहर खेले मत जईह आज नेवान ह चुप चाप घरे बइठ के पढ़ाई कर ना त सरस्वती माता नाराज हो जाइहे। आ हमनी के सागरो भाई बहिन ओसारा में आपन आपन बैग ले के बइठ जाईल जा। 
शाम के टाइम भइया चाहे पापा जब खेत से हरियर जौ के बाली गमछा में छुपा के ले आवे लोग तब हमनी के सख्त हिदायत दिहल जाव कि अबसे हो हल्ला ना करिह लोग नेवान आ गइल बा। फिर जब सांझ के माई भगवान लोगन के सामने दिया जला के आरती करे त हमनी के सागरो जानी भी पीछे पीछे दोहरावल जा आ ताली बजावल जा। ओकरे बाद फिर मिले प्रसाद के लड्डू। 
ओह दिन घर में पुड़ी,पकौड़ी,कढ़ी,पुलाव आ बखीर बने। जब घर भर नेवान मुंह में डाल ले तब आवे पकौड़ी के नम्बर। आपन आपन प्लेट कटोरी ले के खड़ा हो जाइल जा रसोई के दुवार पर आ जइसे कड़ाही में से पकौड़ी निकले माई सबके प्लेट में बराबर बराबर दे देवे। जब सभ केहू आपन आपन प्लेट ले के चल जाव त धीरे से हम माई से दू पकौड़ी और मांग ली आ मजा से खाइल जा।
जब घर भर खाना पीना बन जाव त इया ओसारा में बइठ जा आ माई दालान बाहिनी कुल के साथ आ हम पापा आ भइया के साथ पूरे गांव में सबके घर जा जा के सबकर आशीर्वाद लिहल जा। ओह दिल पूरा गांव के लोग सबके घरे जा आ बड़ बुजुर्गन के आशीर्वाद ले हाल चाल ले आ पुड़ी पकौड़ी के स्वाद भी। आ लोग आशीर्वाद दे "बनल रह फुलाईल रह, नया धरअ पुरान खा तरक्की होखे।"
फिर सबेरे सबेरे महरिन, नाउन, धोबिन जइसन पहुनी पसारी लोग आवे आ सबका घर से खाना आ सीधा ले के जा लोग। तब नेवान के एगो अलगे महत्व रहे। काश! फिर उ जमाना वापस आ पावत।
अंकुर तिवारी

©Ankur tiwari #sad_quotes
White #नेवान खाली पूजा पाठ के ना सामाजिक समता के भी प्रतीक हवे 
केतना बढ़िया रहे न उ समय जब बसंत पंचमी के दिन हमनी के सबेरे सबेरे जगा के माई बोले कि ए बेटा नहा धो के पूजा कर ल आज नेवान हवे, आ हमनी के झूठे मूठें आंख मून के बिछौना पर परल रहल जा कि अब्बे घाम होई त निकल जाई। फिर जबरदस्ती माई पकड़ के बिछौना से लावे आ जल्दी जल्दी नित्य क्रिया से लौटे के बाद गर्म पानी में तनी सा ठंडा पानी मिलाके नहवा देवे। फिर कुछ पिसान,सब्जी आ पईसा डलिया में ध के देवे आ कहे कि बेटा भगवान के नाम ले के छू ल आ पुरोहित जी के घर दे आव। फिर ओह दिन जब हमनी के स्कूल से घर आवल जा ता मुंह हाथ धो के खाना खइला के बाद इया कहे कि अब बाहर खेले मत जईह आज नेवान ह चुप चाप घरे बइठ के पढ़ाई कर ना त सरस्वती माता नाराज हो जाइहे। आ हमनी के सागरो भाई बहिन ओसारा में आपन आपन बैग ले के बइठ जाईल जा। 
शाम के टाइम भइया चाहे पापा जब खेत से हरियर जौ के बाली गमछा में छुपा के ले आवे लोग तब हमनी के सख्त हिदायत दिहल जाव कि अबसे हो हल्ला ना करिह लोग नेवान आ गइल बा। फिर जब सांझ के माई भगवान लोगन के सामने दिया जला के आरती करे त हमनी के सागरो जानी भी पीछे पीछे दोहरावल जा आ ताली बजावल जा। ओकरे बाद फिर मिले प्रसाद के लड्डू। 
ओह दिन घर में पुड़ी,पकौड़ी,कढ़ी,पुलाव आ बखीर बने। जब घर भर नेवान मुंह में डाल ले तब आवे पकौड़ी के नम्बर। आपन आपन प्लेट कटोरी ले के खड़ा हो जाइल जा रसोई के दुवार पर आ जइसे कड़ाही में से पकौड़ी निकले माई सबके प्लेट में बराबर बराबर दे देवे। जब सभ केहू आपन आपन प्लेट ले के चल जाव त धीरे से हम माई से दू पकौड़ी और मांग ली आ मजा से खाइल जा।
जब घर भर खाना पीना बन जाव त इया ओसारा में बइठ जा आ माई दालान बाहिनी कुल के साथ आ हम पापा आ भइया के साथ पूरे गांव में सबके घर जा जा के सबकर आशीर्वाद लिहल जा। ओह दिल पूरा गांव के लोग सबके घरे जा आ बड़ बुजुर्गन के आशीर्वाद ले हाल चाल ले आ पुड़ी पकौड़ी के स्वाद भी। आ लोग आशीर्वाद दे "बनल रह फुलाईल रह, नया धरअ पुरान खा तरक्की होखे।"
फिर सबेरे सबेरे महरिन, नाउन, धोबिन जइसन पहुनी पसारी लोग आवे आ सबका घर से खाना आ सीधा ले के जा लोग। तब नेवान के एगो अलगे महत्व रहे। काश! फिर उ जमाना वापस आ पावत।
अंकुर तिवारी

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Ankur tiwari

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