तेरे जिस्म की महक, तनहा रातों में तेरी याद दिलाए, याद भुलाने के लिए हम, मोमबत्ती नहीं दिल जलाए, उफ़ वो उठता धुंआ भी, देखो क्या क़यामत ढाए, धुएं में भी तस्वीर-ए-महबूब नज़र आए। ♥️ Challenge-512 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।