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क्यों डर रहे हो,कि कुछ दिख रहा है चमकता हुआ, कि कि

क्यों डर रहे हो,कि कुछ दिख रहा है चमकता हुआ,
कि किसी अनजान की रोशनी है।
अंधेरे की ही रहेगी हुकूमत , ये तो चाँद की रोशनी है।

सारे चराग तो बुझा के लेटा हूँ, फिर ये क्या है, 
मेरी आँखों पे जो पड़ रही, वो शायद उसकी याद की रोशनी है। 

तुम्हें हक़ है चाहो तो रास्ता दिखाओ या मुझे भटका दो ,
राह पे जो भी है,बस तेरे नाम की रोशनी है। 

जलता है, बुझता है, बुझता है, फिर जलता है, 
जुगनूओं की ऐसी रोशनी किस काम की रोशनी है। 

मेरे दिल-दिमाग़, ज़ुबान, ख़्वाब, हर जगह बस गयी है, 
पता करो ये आख़िर किस चराग की रोशनी है। 

बहुत वक़्त कटा आवारगी में,अब तो कुछ फिकर कर ले अल्तमश, 
बुझते दिये- सी तो तेरे ईमान की रोशनी है। #roshni #ghazal
क्यों डर रहे हो,कि कुछ दिख रहा है चमकता हुआ,
कि किसी अनजान की रोशनी है।
अंधेरे की ही रहेगी हुकूमत , ये तो चाँद की रोशनी है।

सारे चराग तो बुझा के लेटा हूँ, फिर ये क्या है, 
मेरी आँखों पे जो पड़ रही, वो शायद उसकी याद की रोशनी है। 

तुम्हें हक़ है चाहो तो रास्ता दिखाओ या मुझे भटका दो ,
राह पे जो भी है,बस तेरे नाम की रोशनी है। 

जलता है, बुझता है, बुझता है, फिर जलता है, 
जुगनूओं की ऐसी रोशनी किस काम की रोशनी है। 

मेरे दिल-दिमाग़, ज़ुबान, ख़्वाब, हर जगह बस गयी है, 
पता करो ये आख़िर किस चराग की रोशनी है। 

बहुत वक़्त कटा आवारगी में,अब तो कुछ फिकर कर ले अल्तमश, 
बुझते दिये- सी तो तेरे ईमान की रोशनी है। #roshni #ghazal