कोई जाए ज़रा समझाए, हमें जलाने वालों को ज़रा, उम्र गंवा देंगे वो हैरानी में। हम रहते हैं अश्कों के समंदर में, कई बरसों से, और भला आग लगी है, कभी पानी में।। जिंदगी जिंदा नज़र आती हमें, बस जाम में हैं, मदहोशी के आलम में हम, आराम में हैं। दो घूंट लगा चले जाते हैं, चांद तारों के परे, कुछ नहीं रखा इस जहां में, इस आवाम में हैं।। कोई जाए ज़रा समझाए, हमें डुबा जाने वालों को ज़रा, कुछ नहीं रखा है इस नादानी में। हम रहते हैं ग़मों के संमदर में, कई अरसों से, और भला बूंद डूबी है, कभी पानी में।। ©Rahul Kaushik #shaayavita #me #idontcare #idontcareanymore #mylife #myway