#Sukha
मास बीते दिवस बीते बीत जाए दिन रैन,
हांड़ मास की काया सूखी, दिल तुम बिन बेचैन।
चंदा चाहे चकोर को,चातक स्वाति की इक बूंद।
विरहिन चाहत प्रियतम को, वैराग्य बिना सब सून।
सूखा शरीर बेजान-सी आंखें,आज भी बांट जोहती है।
इन नैनों को सुख की अनुभूति, कन्हैया तेरे दर्शन से है।
भक्ति अधूरी प्रेम बिना, ज्ञान अधूरा गुरु बिना,