ज़िंदगी दिसंबर सी रुक सा गया है माहौल जिंदगी का थोड़ी ठंड भी बड़ गई है रुकना तो नहीं है पर चाय की भी थोड़ी लत पड़ गई है पीते हैं थोड़ी फिर निकलेंगे आगे जनवरी भी खड़ी ह B++32+8