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मेरे अरमानों को जला कर वो आतिशबज़ी करता है मेरा

मेरे अरमानों को जला कर वो 
आतिशबज़ी करता है 
मेरा मेहबूब सर उठा के 
दगाबाजी करता है
मुझे नहीं पीनी उसके आंखों की शराब
उसमे साजिशों का ज़हर है
पर कमबख्त कातिल
हंस मुस्करा कर राज़ी करता है। दगाबाजी
#दगाबाजी
मेरे अरमानों को जला कर वो 
आतिशबज़ी करता है 
मेरा मेहबूब सर उठा के 
दगाबाजी करता है
मुझे नहीं पीनी उसके आंखों की शराब
उसमे साजिशों का ज़हर है
पर कमबख्त कातिल
हंस मुस्करा कर राज़ी करता है। दगाबाजी
#दगाबाजी

दगाबाजी #दगाबाजी