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जो किया मैंने कभी अपनी ही मर्ज़ी से किया ज़िन्दग

जो किया  मैंने कभी  अपनी  ही मर्ज़ी से किया 
ज़िन्दगी को  दूसरों के  कहने पर मैं  कब जिया 

ये  अना  मेरी   बुरी  है  तो   बुरी   ही  ठीक  है 
मैं  पुकारूंगा  तुझे   ये  सोच   भी  कैसे  लिया 

पढ़  लिये है  अब  तराने  वस्ल  के हमने  सभी 
यार  मरकर  हिज्र  मे  हम   अब पढ़ेंगे मर्सिया 

जब ख़ुदा  पूछेंगा  तुझको चाहिए क्या  ये बता 
मैं कहूँगा' कुछ नहीं' काफ़ी है उसको पा लिया 

हम  दियो ने जब हवा  से  दोस्ती की  बात की 
तो हवा ने  ये किया  हर इक दिया जलने दिया

©Saad Ahmad ( سعد احمد ) #Ghalzal #Saad_Ahmad  #SaadShayari 
#wetogether
जो किया  मैंने कभी  अपनी  ही मर्ज़ी से किया 
ज़िन्दगी को  दूसरों के  कहने पर मैं  कब जिया 

ये  अना  मेरी   बुरी  है  तो   बुरी   ही  ठीक  है 
मैं  पुकारूंगा  तुझे   ये  सोच   भी  कैसे  लिया 

पढ़  लिये है  अब  तराने  वस्ल  के हमने  सभी 
यार  मरकर  हिज्र  मे  हम   अब पढ़ेंगे मर्सिया 

जब ख़ुदा  पूछेंगा  तुझको चाहिए क्या  ये बता 
मैं कहूँगा' कुछ नहीं' काफ़ी है उसको पा लिया 

हम  दियो ने जब हवा  से  दोस्ती की  बात की 
तो हवा ने  ये किया  हर इक दिया जलने दिया

©Saad Ahmad ( سعد احمد ) #Ghalzal #Saad_Ahmad  #SaadShayari 
#wetogether
saadahmad2266

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