जबसे आए हैं हम तेरे इस शहर में, तेरी दीद भी न मिली हमें नज़र में। तन्हा भटकते रहे गए तेरे इंतज़ार में, ज़िक्र न हुआ हमारा किसी ख़बर में। सोचा किसी से पूछ लेंगे पता तुम्हारा, शायद मिल जाओ तुम किसी डगर में। लोगों से जब ज़िक्र किया तुम्हारा हमने, कोहराम ही मच गया तुम्हारे शहर में। जब मिलने बुलाया था तो मिल लेती, क्या पता फिर कब मिलेंगे इस उमर में। देखो ये गुस्ताखी अच्छी नहीं ऐ सनम। किसी मोड़ पर मिलो इस रहगुज़र में। ♥️ Challenge-805 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।