इंसान के दिल में बहुत से सवाल होते है कभी ज़िंदगी की उलझनों से जुड़े हुए तो कभी रिश्तों से जुड़े हुए। भक्ति और आस्था से जुड़े ही न जाने कितने ही सवाल दिमाग को उलझा देते हैं। हम उन सब सवालों के अपने अंदर देखने की बजाय बाहर के लोगों से उन प्रश्नों के उत्तर ढूँढते हैं और फिर उनकी अलग-अलग राय उनके अलग-अलग नज़रिये हमारे सवालों को उलझा जाते हैं। हालांकि इन सभी सवालों के जवाब हमारे अंदर ही कही छुपे होते है लेकिन हम उन्हें पढ़ना ही नहीं चाहते क्योंकि हमारा दिल सच्चाई जानता है और सच्चाई हमेशा कड़वी होती हैं जिसे हमारा अहंकार स्वीकार नहीं करता इसलिए हम दूसरे लोगों के जवाब पर जो प्रायः हमारे मनमुताबिक होता है खुद को संतुष्ट कर लेते है और यही कारण है कि आजकल समाज पतन और अघतन दोनों ही स्थिति के मध्य फंसा हुआ है _____________________________________________ आइए लिखते हैं #ख़यालोंकीउथलपुथल