ऐ ज़िंदगी मैं अब तुझसे त्रस्त हूं, मै अंदर से पूरी अस्त व्यस्त हूं, कहां मैं रहती थी खुशनुमा फिजाओं मे, आज हर ज़र्रे की नुमाइश से पस्त हूं, दिल ओ दिमाग को उलझा दिया उलझनों से, मुझे भी अपने जैसा बना लिया लोग-बागो ने, कभी रहता था मुझमें एक हलचल सा बचपना, आज उन्हीं जज्बातों को दफनाने में मस्त हूं, ऐ ज़िंदगी मैं अब तुझसे त्रस्त हूं।। ©Dr. Nishi Ras (Nawabi kudi) My upcoming book copyright ©️ written by Dr Nishi Rastogi... #Heartbeat