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#ग़ज़ल 1222 1222 1222 1222 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

#ग़ज़ल  1222   1222   1222   1222
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मैं तेरे सामने ए ज़िंदगी हर रोज़ आती हूं। 
मगर तेरी हक़ीक़त को नहीं पहचान पाती हूं।

मुझे मालूम है दो दिन चलेगी नाव कागज़ की 
फ़क़त दिल की खुशी के वास्ते हरदम चलाती हूं।

#ग़ज़ल 1222 1222 1222 1222 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 मैं तेरे सामने ए ज़िंदगी हर रोज़ आती हूं। मगर तेरी हक़ीक़त को नहीं पहचान पाती हूं। मुझे मालूम है दो दिन चलेगी नाव कागज़ की फ़क़त दिल की खुशी के वास्ते हरदम चलाती हूं।

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