बड़े मेरे सपने छोटा यह जहां है फूटी किस्मत मेरी, कहां यह भगवान है नंगे पैर निकला था कांटे चुभे हजार है दुनिया साली मतलबी यहां किसको क्या परवाह है आज़ाद पंछी-कवि डॉ. रामावतार रैबारी मकवाना