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सूख कर कांटा हो जाए पर उफ़ नहीं करता। औलाद की खाति

सूख कर कांटा हो जाए पर उफ़ नहीं करता।
औलाद की खातिर पिता क्या - क्या नहीं करता।
सौख का मसला यहां क्या वो कहेगा,
जिसे अपने लिहाफ का अंदाजा नहीं रहता।
उनका अंदाज भी कोई हीरो से काम नहीं होता,
मुझे तो "रसिक" उसमें ही है सच्चा रब नजर आता। औलाद की खातिर........!
सूख कर कांटा हो जाए पर उफ़ नहीं करता।
औलाद की खातिर पिता क्या - क्या नहीं करता।
सौख का मसला यहां क्या वो कहेगा,
जिसे अपने लिहाफ का अंदाजा नहीं रहता।
उनका अंदाज भी कोई हीरो से काम नहीं होता,
मुझे तो "रसिक" उसमें ही है सच्चा रब नजर आता। औलाद की खातिर........!