शहर तुम्हारा मुझे नही है भाता पहाड़ मेरा मुझे कब से है बुलाता लोग क्या नदियाँ झरने मोहब्बत बांटते है पर यहाँ पानी भी पैसो में ही है आता मजबूरी है समस्या है रोजगार की साहब वरना अपना घर कौन है छोडना चाहता हवा फिजा समा सब अलग है वहा की यहा तो बस सरेआम कत्लेआम होता जाता होती है खुशी मन मानो झुम जाता अनजान शहर में अपने पहाड़ का मिल जाता एक ख्वाहिश है तरूण की बस इतनी सी ये सब छोड मै तो पहाड़ को जाना चाहता #missing #uttrrakhand #kaumaun #nojoto #nojotohindi #poetry#shyari #sad kiran bisht pooja negi#