बिटियों की उड़ान खुले आसमाँ में फैलाना हैं मुझे अपनी बाहों को। बंधी हुई बेड़ियों को तोड़ना हैं मुझे अपने जज्बातों से। अपनी खुद्दारी से बढ़ जाना हैं मुझे जंग-ए-मैदानों में। अब न ठहरना हैं मुझे चिर-शाश्वत इन मकड़-जालो में। ये राह, ये जग, ये आसमां मुझे पुकार रही.. माँ धरती का कड़-कड़ मुझे बुला रही... मुझे बता रहीं..इस स्थावर निशा को त्याग कर अंधकार में पूनम की चांद बन जा। ये निशा भी बदलेगी.. हे! नारी अब तो तू औऱ जग जा।। अब, कल सूर्योदय संग तेरा भी उदय होगा।। अब, ये दुनियां तेरी मुट्ठी मे बस ! अपनी खुद्दारीयत को तू जगा। बढ़ चल अपनी राह-ए-उड़ान की ओर। अति न सोच तू अब...बढ़ चल, बढ़ चल और बढ़ चल।। (आप सभी को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं) ©saurav life #womensday2021 #spmydream