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बचपन की दोस्ती भी अजीब होती है। मेरे साथ पढ़ने वाल

बचपन की दोस्ती भी अजीब होती है। मेरे साथ पढ़ने वाले मित्रो में सबसे प्रिय मित्र मोना बचपन से मेरे बड़े होने तक मेरे साथ थी। हम दोनों में बहुत गहरी मित्रता थी। एक दूसरे की भावना को बिना बताये समझ लेते थे। समय के साथ उसे किसी लड़के से प्यार हो गया। उसने मुझ से यह बात शेयर की थी। वह जानती थी । कि उसके घर वाले नही मानेगे । परिवार के विरुद्ध जाकर उसने शादी कर ली ' । और वह मुझसे जुदा हो गई। हमारी दोस्ती का सफर यही थम गया था । उसके लौटने की उम्मीद भी नही थी। अचानक एक दिन मेरे घर की टेलीफोन की घंटी बजती है। रिसिवर उठाते है। मोना की आवाज आती है। तब उसकी आवाज सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। मोना वापस आ रही है।

©Shakuntala Sharma
  # बचपन की मित्रता जब मोना वापस आई तो मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा

# बचपन की मित्रता जब मोना वापस आई तो मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा #ज़िन्दगी

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