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लिखता हूँ जमाने से, पर कलम में वो धार नहीं था, शाय

लिखता हूँ जमाने से, पर कलम में वो धार नहीं था,
शायद पहले मुझे तुमसे प्यार नहीं था।
तुम्हारी आहट दिल के दरवाजे तक आई है,
अब है मुझे, पहले किसी का इंतजार नहीं था।
तुमसे मिलने के बाद हुआ है मुझे तो,
वरना खुदा पर मेरा इतना एतबार नहीं था।
भरी हामी नहीं,ना नकारा उसने मुझे,
यारो!उसके कजरारे नैनो  में इंकार नहीं था।
ये हाल है कि बता भी नहीं पाता मैं,
कि किस लम्हे में मुझे तुमसे प्यार नहीं था।

                                      तेजपाल यादव #Tejpal yadav
लिखता हूँ जमाने से, पर कलम में वो धार नहीं था,
शायद पहले मुझे तुमसे प्यार नहीं था।
तुम्हारी आहट दिल के दरवाजे तक आई है,
अब है मुझे, पहले किसी का इंतजार नहीं था।
तुमसे मिलने के बाद हुआ है मुझे तो,
वरना खुदा पर मेरा इतना एतबार नहीं था।
भरी हामी नहीं,ना नकारा उसने मुझे,
यारो!उसके कजरारे नैनो  में इंकार नहीं था।
ये हाल है कि बता भी नहीं पाता मैं,
कि किस लम्हे में मुझे तुमसे प्यार नहीं था।

                                      तेजपाल यादव #Tejpal yadav