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पूरी रात की जो नींद थी खप गयी करवटों में तुम्हारी

पूरी रात की जो नींद थी 
खप गयी करवटों में
तुम्हारी यादो के झुनझुने ने मुझे ऐसे
ही नही जगाया है

कुछ तो जरूर मतलब होगा इनका 
क्योकि तुमको खोने के बाद मैंने 
तुम्हारी यादो को ही तो पाया है।

           "हितेश यादव" poetry by hitesh yadav
यादें----(भाग--४)
पूरी रात की जो नींद थी 
खप गयी करवटों में
तुम्हारी यादो के झुनझुने ने मुझे ऐसे
ही नही जगाया है

कुछ तो जरूर मतलब होगा इनका 
क्योकि तुमको खोने के बाद मैंने 
तुम्हारी यादो को ही तो पाया है।

           "हितेश यादव" poetry by hitesh yadav
यादें----(भाग--४)

poetry by hitesh yadav यादें----(भाग--४)