मेरे ख्यालों में एक चेहरा रोज आता है पर भर में ही ग़मो से दूर कर जाता है। उसकी दूरियों में भी क्या कहें साहिब अहसास नजदीकियों का ही आता है। बेहद बेतहाशा ऐतवार है उस पर जमाने की वेवफाई को वो भुला जाता है। दिल के हर एक कोने में बस रहता है वहीं मन के मंदिर को वो गीतों से सजाता है। मालूम नहीं अंजाम हो क्या जिंदगी का अपनी संग उसके हर लम्हा जन्नत ही नजर आता है। कमाल भी क्या खूब है उसकी अदाओं का हर कोई ही उसका दीवाना बन जाता है। *निमिषा "काव्यमाला"* ©Nimisha काव्यमाला #Ocean