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माज़ी की अंधेरी गलियों में, तुम किसको ढूंढा करते ह

माज़ी की अंधेरी गलियों में,
तुम किसको ढूंढा करते हो!
हर शब हर दिन और ख़्वाब़ों में,
यादों से उलझा करते हो,

ये जलती आंखें, बिखरी ज़ुल्फ़ें!
किस दर्द से रिश्ता रखते हो?
इस ग़म के बहते दरिया में,
क्यूं ख़ुद को डुबोया करते हो!

कहीं ख़ला में फिरते रहते हो
या चांद पे तन्हा रहते हो!
कहीं छुपा के ग़म को रखते हो,
या दिल को कुशादा करते हो!

इक पल की ख़ुशी की ख़ातिर तुम,
हर दर्द से सौदा करते हो!
क्या होगा उस साहिल क जिसे
दरिया से अलैहदा करते हो!

इस ढलती शाम के आंचल में,
सदियों को समेटा करते हो,
किरनो को पकड़ कर सूरज को,
जाने से रोका करते हो!

दिल के बहलावे की ख़ातिर,
ख़ुद से ही धोखा करते हो!
होंठों की प्यास बुझाने को,
सहरा को बोसा करते हो!
जीने का तकाज़ा है या फिर ,
मरने का इरादा रखते हो!!!!? #yqaliem #yqbhaijaan #yad-e-mazi #dard_e_dil #zeest #awargi #andhera 

माज़ी - past
ज़ीस्त - Life
ख़ला - space, vacuum
कुशादा - Expanded, large
अलहदा - to separate
बोसा।   -‌  kiss
माज़ी की अंधेरी गलियों में,
तुम किसको ढूंढा करते हो!
हर शब हर दिन और ख़्वाब़ों में,
यादों से उलझा करते हो,

ये जलती आंखें, बिखरी ज़ुल्फ़ें!
किस दर्द से रिश्ता रखते हो?
इस ग़म के बहते दरिया में,
क्यूं ख़ुद को डुबोया करते हो!

कहीं ख़ला में फिरते रहते हो
या चांद पे तन्हा रहते हो!
कहीं छुपा के ग़म को रखते हो,
या दिल को कुशादा करते हो!

इक पल की ख़ुशी की ख़ातिर तुम,
हर दर्द से सौदा करते हो!
क्या होगा उस साहिल क जिसे
दरिया से अलैहदा करते हो!

इस ढलती शाम के आंचल में,
सदियों को समेटा करते हो,
किरनो को पकड़ कर सूरज को,
जाने से रोका करते हो!

दिल के बहलावे की ख़ातिर,
ख़ुद से ही धोखा करते हो!
होंठों की प्यास बुझाने को,
सहरा को बोसा करते हो!
जीने का तकाज़ा है या फिर ,
मरने का इरादा रखते हो!!!!? #yqaliem #yqbhaijaan #yad-e-mazi #dard_e_dil #zeest #awargi #andhera 

माज़ी - past
ज़ीस्त - Life
ख़ला - space, vacuum
कुशादा - Expanded, large
अलहदा - to separate
बोसा।   -‌  kiss