तेरी मोहब्बत की ख़ुमारी अभी तक मुझ पे तारी हैं मग़र मैं क्या करूं मेरी जान लॉक डाउन भी जारी है शराब के ठेके खुल जाये ये फ़रमान जारी है मग़र मस्जिद मंदिर ना खुले फैलता इससे बीमारी है ये कैसी सोच है साहब ये कैसी महामारी है कोई उठा रहा दूध जमी से किसी को भूख ने मारी है कहाँ पड़ता फर्क किसी को भाषण पे भाषण जारी है चलते चलते पढ़े है छाले मग़र फिर भी सफ़र जारी है कितने माँ खो चुकी अपने लाले फ़िर भी जंग जारी है ये कैसी सोच है भईया ये कैसी महामारी है -A KHALID HUSSAIN उफ़ ये मोहब्बत ये कैसी सोच है भईया ये कैसी महामारी है