मिला हूँ ख़ाक में ऊँची मगर औकात रखी है, तुम्हारी बात थी आखिर तुम्हारी बात रखी है, भले ही पेट की खातिर कहीं दिन बेच आया हूँ , तुम्हारी याद की खातिर भी पूरी रात रखी है। Prem ki diary se good evening friend