कभी कबार ख़ुद से ही हार जाते हे हम। खुद में ही कमिया ढूंढ़ने लगते हे हम। क्यों कोई खुश नहीं होता जैसे हम हैं। क्या इतने ही बैगेरत हे हम। दर्द हल्का हल्का