मैं जी इसलिए रहा हूँ कि मौत का जाए, जो हर रोज़ आती है, अब बस एक रोज आ जाए लगाऊँ उसे जी-भर गले और फिर मौज़ आ जाए॥ मैं जी इसलिए रहा हूँ कि मौत आ जाए, किसी गुलिस्ताँ में वो बस एक चोर आ जाए लुट जाए गुलिस्ताँ का हर-एक फूल उस रोज, लूटे जो गुलिस्ताँ वो बस कहीं चोट न खा जाए॥ "हिमांश" मैं जी बस इसलिए ही रहा हूँ कि मौत आ जाए..!!! #suicidal #findingyourself