**खुद की तलाश** मैंने आज तक खुद को समझ नहीं पाया, खुद की परछाईं से भी नाता जुड़ नहीं पाया। हर मोड़ पर सवालों का साया मिला, जवाबों का जहां कभी साफ़ न दिखा। लोग क्या-क्या समझते हैं मुझे, कभी परिंदे, कभी बंदिशें समझते हैं मुझे। मैं एक गूंज हूँ, जो ख़ुद से टकराई, शायद इसलिए, मेरी आवाज़ भी अधूरी रह गई। दुनिया ने जो देखा, वो चेहरा नकाब था, मेरे भीतर का सच तो अनकहा ख़्वाब था। खुद से मिलने की चाह अब भी बाकी है, इस सफर में मंज़िल कहीं धुंधली सी झांकी है। क्या मैं बूँद हूँ, या मैं समंदर का हिस्सा, क्या मैं एक सवाल हूँ, या किसी उत्तर का हिस्सा? खुद को समझने की कशिश जारी है, इस दिल की कहानी अभी अधूरी सारी है। ©Writer Mamta Ambedkar #allalone