Nojoto: Largest Storytelling Platform

सुबह सुबह ये हल्की हवा! जब छु जाए रूह को। सपनों

सुबह सुबह ये हल्की हवा! 
जब छु जाए रूह को।

सपनों की दुनिया से बाहर लाती! 
सामने रखती हर हक़ीक़त को ।

नई उम्मीदों की किरण चमकती! 
ख्वाबों को सच में बदलती। 

ढ़लती शाम के अँधेरों में, 
एक नई सपनों की चादर ओढ़ मैं सो जाती!


 सुप्रभात|

प्रिय लेखकों अपनी ज़बान के साथ अपने विचारों को इस विषय पर प्रकट करें|

सबसे अच्छी रचनाएँ समूह द्वारा हाईलाइट प्राप्त करेंगी|

समय समाप्त 18/04/2021 को सुबह 04 बजे|
सुबह सुबह ये हल्की हवा! 
जब छु जाए रूह को।

सपनों की दुनिया से बाहर लाती! 
सामने रखती हर हक़ीक़त को ।

नई उम्मीदों की किरण चमकती! 
ख्वाबों को सच में बदलती। 

ढ़लती शाम के अँधेरों में, 
एक नई सपनों की चादर ओढ़ मैं सो जाती!


 सुप्रभात|

प्रिय लेखकों अपनी ज़बान के साथ अपने विचारों को इस विषय पर प्रकट करें|

सबसे अच्छी रचनाएँ समूह द्वारा हाईलाइट प्राप्त करेंगी|

समय समाप्त 18/04/2021 को सुबह 04 बजे|
nehapathak7952

Neha Pathak

New Creator