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फूल शाख़ से टूटकर आ गिरा, जाने अब कहाँ जा.... ठहरेग

फूल शाख़ से टूटकर आ गिरा,
जाने अब कहाँ जा.... ठहरेगा।

क्या मिलेगा फिर उसे कोई गुलशन
जो उसे रहने की जगह.... देगा।

बदहवाएँ उसे यहाँ-वहाँ टहलाएँगी,
और वो तिनका-तिनका.... बिखरेगा।

कौन होगा जो उस गमख़्वार को समेटेगा,
कौन होगा जो उसके कोमल ह्रदय को.... देखेगा।

इसी सोच-विचार में परेशान बैठा हूँ " विराज़ "
वो फूल टूट चुका है अब कौन उसकी सुगंध पे.... मरेगा।

©V.k.Viraz #phool Sanam shona Priya Gour Sonu Goyal Parijat P Di Pi Ka
फूल शाख़ से टूटकर आ गिरा,
जाने अब कहाँ जा.... ठहरेगा।

क्या मिलेगा फिर उसे कोई गुलशन
जो उसे रहने की जगह.... देगा।

बदहवाएँ उसे यहाँ-वहाँ टहलाएँगी,
और वो तिनका-तिनका.... बिखरेगा।

कौन होगा जो उस गमख़्वार को समेटेगा,
कौन होगा जो उसके कोमल ह्रदय को.... देखेगा।

इसी सोच-विचार में परेशान बैठा हूँ " विराज़ "
वो फूल टूट चुका है अब कौन उसकी सुगंध पे.... मरेगा।

©V.k.Viraz #phool Sanam shona Priya Gour Sonu Goyal Parijat P Di Pi Ka
vkviraz9338

V.k.Viraz

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