सुकून से खुद्दारी और मेहनत की दो रोटी बेहतर है फिर भी बड़े लोगो की चौखट पर दुम हिलाते हैं क्यों ये समझे नही हम दहेज के पैसे लुटाते बाराती आए दुल्हन की चौखट पर पैरों के नीचे खून पसीने की कमाई और बाप ने मुंह घुमा ली क्यों ये समझे नही हम मोटी रकम और बहुत कुछ देता है अपनी लड़की देना वाला फिर भी गैर की हाथों में हाथ देख डरता है क्यों ये समझे नही हम दिन भर अनाजों की बोरियां ढोता रहा जो शख्स सो गया उसका परिवार भूखा क्यों ये समझे नही हम हर योजनाएं हैं तो बनती हैं गरीबों पिछड़ों के लिए फिर भी अमीर और अमीर हो रहा क्यों ये समझे नही हम शहर में शान्ति थी जब तक चुनाव की तारीखें नही aayin थी अचानक जलने लगा शहर क्यों ये समझे नही हम बचपन में मेरा जो दोस्त खाता था मेरे टिफिन से आज मेरे साथ भी नही खाता क्यों ये समझे नही हम ईश्वर जब ईर्ष्या, द्वेष, पाप, ये नकारात्मक सोच इतनी ही बुरी है फिर विकार ये सृजित ही किया क्यों ये समझे नही हम यूं तो समझदार समझता था मैं खुद को फिर भी अभी नासमझ सा हूं क्यों ये समझे नही हम Part २ समझे नही हम Do subscribe me and follow me for more delightful quotes #aksh #minewords #poetry #lines_of_heart #yourquotedidi