बचपन और शैतानी बचपन और सैतानी की भी है अजब कहानी। नन्हे मुन्ने थे जब करते थे,गजब की शैतानी। हम मित्रों के साथ खेल खेल में,करते थे नादानी। बालपन में गलती करना, कितना था आसान। बचपन ही था वह जिसमें था,खुशियां का खजाना। गलती करके मान भी लेते,जैसे किया अहसान। बालपन और शैतानी की भी, अलग ही थी बात। बचपन में थे हम कितने नादान, करते थे नादानी। गया बचपन, गए वो दिन जब करते थे शैतानी। बचपन के बारे में सोच, होती है बहुत हैरानी। अब न आएगा लौट के बचपन,रह गई सिर्फ यादें। सिर्फ सुनाते रहेंगे,बचपन के किस्से और कहानी। बचपन और शैतानी