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बेटा बाप के सपूत है वो करे तो नाज़ है, बुढापे का स

बेटा बाप के सपूत है वो करे तो नाज़ है,
बुढापे का सहारा है सर का उनके ताज है,
बेटी तो धिक्कार हैं कलंक की चीत्कार है,
अयोध्या ने सीता को भी किया तार तार हैं,
आह ! ये विचार तो कटाक्ष के वो तीर हैं,
पुरुष कि सेज़ होना तो नारी की तकदीर हैं,
धिक्कार हैं उस लब्ज़ पर जो लब्ज़ की लकीर हैं,
जिम्मेदारियां उन पर भी है पर समझा ना काबिल उन्हें
अदब , क्षमा, ममत्व , का स्वामित्व है हासिल उन्हें,
वाह रे विधाता क्या स्वांग तुने रच दिया,
संघर्ष दे नारी को ,  श्रेय पुरुष को दिया,
क्यों प्रश्न उससे नहीं,जिसने घिनौना कर्म किया,
नारी ही तो उत्कर्ष थी, अपकर्ष उस पर रच दीया,
नारी जगत की बीज हैं ,जिससे कि वे परिपूर्ण हैं, 
प्राण हैं वो जीव का , काया भी अपूर्ण है,
संकल्प पूर्ण शक्ति है, भावनाए है प्रबल,
नारी बिना जो पूर्ण हो,तो दिखा दो अपना बल,
मन में बसे जो पाप है, जीवन का ये अभिशाप है,
है अधूरा ये जगत नारी बिना , पूर्ण बना सको,
 जो बनता अपने आप है,।।।

©shalmali shreyanker #नारी #ना_शोना_के_पैराहन_ना_मीठा_के_पैर #स्नेह #शालमलीश्रेयांकर #गूगल #माँ #स्त्री 

#Marriage
बेटा बाप के सपूत है वो करे तो नाज़ है,
बुढापे का सहारा है सर का उनके ताज है,
बेटी तो धिक्कार हैं कलंक की चीत्कार है,
अयोध्या ने सीता को भी किया तार तार हैं,
आह ! ये विचार तो कटाक्ष के वो तीर हैं,
पुरुष कि सेज़ होना तो नारी की तकदीर हैं,
धिक्कार हैं उस लब्ज़ पर जो लब्ज़ की लकीर हैं,
जिम्मेदारियां उन पर भी है पर समझा ना काबिल उन्हें
अदब , क्षमा, ममत्व , का स्वामित्व है हासिल उन्हें,
वाह रे विधाता क्या स्वांग तुने रच दिया,
संघर्ष दे नारी को ,  श्रेय पुरुष को दिया,
क्यों प्रश्न उससे नहीं,जिसने घिनौना कर्म किया,
नारी ही तो उत्कर्ष थी, अपकर्ष उस पर रच दीया,
नारी जगत की बीज हैं ,जिससे कि वे परिपूर्ण हैं, 
प्राण हैं वो जीव का , काया भी अपूर्ण है,
संकल्प पूर्ण शक्ति है, भावनाए है प्रबल,
नारी बिना जो पूर्ण हो,तो दिखा दो अपना बल,
मन में बसे जो पाप है, जीवन का ये अभिशाप है,
है अधूरा ये जगत नारी बिना , पूर्ण बना सको,
 जो बनता अपने आप है,।।।

©shalmali shreyanker #नारी #ना_शोना_के_पैराहन_ना_मीठा_के_पैर #स्नेह #शालमलीश्रेयांकर #गूगल #माँ #स्त्री 

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