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मेरा रोना अज़ीज़ ना था,सो उसने मुझको नहीं दिया रुम

मेरा रोना अज़ीज़ ना था,सो 
 उसने मुझको नहीं दिया रुमाल।

ज़ब्त आंखों पे था मेरा लेकिन,
सामने उसके रो पड़ा रुमाल।

वो समझता था मुझे रोना है,
वक़्ते रुख्सत मुझे दिया रुमाल।

जिनके रिश्ते की इब्तिदा थे फूल,
उनके रिश्ते की इंतिहा रुमाल।

उनके सारे कमाल तोहफों में,
मुझको सबसे अज़ीज़ था रुमाल।

गाल तक आ नहीं सके आँसू,
रास्ता रोकता रहा रुमाल।।

उपेंद्र बाजपेई

©Upendra Bajpai unke rishte ki intiha rumal
#shayri
मेरा रोना अज़ीज़ ना था,सो 
 उसने मुझको नहीं दिया रुमाल।

ज़ब्त आंखों पे था मेरा लेकिन,
सामने उसके रो पड़ा रुमाल।

वो समझता था मुझे रोना है,
वक़्ते रुख्सत मुझे दिया रुमाल।

जिनके रिश्ते की इब्तिदा थे फूल,
उनके रिश्ते की इंतिहा रुमाल।

उनके सारे कमाल तोहफों में,
मुझको सबसे अज़ीज़ था रुमाल।

गाल तक आ नहीं सके आँसू,
रास्ता रोकता रहा रुमाल।।

उपेंद्र बाजपेई

©Upendra Bajpai unke rishte ki intiha rumal
#shayri