पल्लव की डायरी खामोशिया ओढ़कर हम शिकार हो गये जो तय कर दिया उन्होंने हम कुर्बान हो गये माई बाप समझ बैठे थे जिसे वो साजिशों के बादशाह निकल गये डूबा डूबा कर सुख चैन छीन रहे है देश की व्यवस्ताओ का चीरहरण कर रहे है मानक तय कर रखे है फंसना तड़पना जिंदा अब बच नही सकते झूठ के बाजार सजाकर भयभीत कर रखे है लाशो के ढेर पर नये भारत बनाने की नींव सजाकर रखे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" झूठ का बाजार सजाकर भयभीत कर रखे है #lockdown2021