वो मुसाफ़िर ही थी, कुछ सहमी हुई सी उसकी आँखे, खामोश सा वो शमां, लटों में कैद पड़ी हज़ार आंधियां, वो सुर्ख गुलाबी होंठ, वो पलकों को उठा कर मुझे देखना, पल भर के साथ में कई सपने दिखा गए, वो चलती हुई मुसाफ़िर, मुझे पहली नज़र का प्यार सिखा गए...💕 आख़िर तो... #आख़िरतो #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi यूँही सफर करते हुए आज मुझे, एक पल भर का साथी मुझे मिल गया। ये छोटी सी नादान तारीफ़ उसके लिए। पल भर के सफर में मानो कई साल मैंने गुज़ार दिए, जाने फिर कब मुलाकात होगी, या होगी भी नहीं........उस अनजान मुसाफ़िर से ............