बदल जाओ हाँ फिर इक बार बदल जाओ तुम तुम्हे कह रहा हूँ तुम जो इस रतनेश के शरीर मे हो इक बार फिर बदल जाओ बदल लो इस रतनेश को मार दो मार दो फिर एक बार जैसे पिछले वाले को मार चुके हो फिर करो समझौता खुद से, खुद के विचारों, भावनाओं से और जन्म दो फिर इक नए रतनेश को वो जिस रतनेश से तुझे मोहब्बत थी वो तो कब का मर चुका है इसे भी मर जाने दो ना यार क्या तुझे अब इस से भी मोहब्बत हो गयी है नहीं मत कर, जाने कितनी बार तुझे अभी बदलना है जाने कितनी बार हर नए रूप को मारना है फिर वक़्त का ये इशारा है फिर बदलना ही इक सहारा है तब वजह कुछ दोस्तों के व्यवहार थे अब फिर कोई नई वजह है वजहें आती रहेंगी तू यू ही मरता रहेगा फिर क्यों तू सोचता हर वक़्त है वक़्त की बात समझ और बदल चाहे वो तेरी चाह हो या नहीं .. पर बदल बदल रतनेश फिर एक बार बदल हाँ बदल फिर एक बार बदल #nojoto, #nojotoHindi #poem #hindinaama