थम गई सांसें सभी,थमी चांदनी-रात कौलाहल मानों पूर्ण हूआ,आई आमावस काली-रात। सन्नाटे में किट-फिट करती, चंचल हवा और पत्तियों का साथ। पक्षियां भी शांत हो चली, मानों जगी कोई अलोकिक बात उठी कहानी घर-घर , सिमटे सभी बिस्तर पर भावों और डर का थोड़ा, चुस्की लेती चहल-पहल ©Manmohan SK अमावस् की काली रात! (नोट;लय को बांधे रखें पढ़ते समय मज़ा आ जाएगा।)#poetry #Amawas