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निकल आती हैं आज भी डरी हुई सी आहें जब सोचती हैं व

निकल आती हैं आज भी डरी हुई सी आहें 
जब सोचती हैं वह भयानक मंजर,
निगाहें खामोश सी हो जाती हैं कलेजे पर 
चलने लगता है जैसे मानो खंजर।

वह लम्हा सोचकर ये जिंदगी आज भी 
बेइंतहा दर्द से कराहने लग जाती है,
रह-रहकर दिल को सताता है यादों में 
लहराने लगता है उस मंजर का समंदर। ♥️ Challenge-629 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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निकल आती हैं आज भी डरी हुई सी आहें 
जब सोचती हैं वह भयानक मंजर,
निगाहें खामोश सी हो जाती हैं कलेजे पर 
चलने लगता है जैसे मानो खंजर।

वह लम्हा सोचकर ये जिंदगी आज भी 
बेइंतहा दर्द से कराहने लग जाती है,
रह-रहकर दिल को सताता है यादों में 
लहराने लगता है उस मंजर का समंदर। ♥️ Challenge-629 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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