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कोई शबे चिराग़ बुझा कर चला गया इस तरह हमको भुला क

कोई शबे चिराग़ बुझा कर चला गया 
इस तरह हमको भुला कर चला गया

वक़्त की रफ़्तार बहुत तेज थी शायद  
हाशिए से हमको मिटा कर चला गया

कैसे कहें हम उसकी तवज्जो नहीं रही
घर दूर से सही,वो दिखा के चला गया

फासले इतने बढ़े कि लौटना मुश्किल 
जाना था, वो आया आकर चला गया

घर की विरानियों से घबराके तेरा ग़म
साजोसामान सारे उठा कर चला गया

सदियों से यही सिलसिला  देखते रहे
लूट कर गया कोई लुटाकर चला गया 

ये दिल्लगी हमें कुछ अच्छी नहीं लगी 
यादें पुरानी सारी छुपा कर चला गया..!✍🏻💔

©D. J.
  #Parchhai  zindagi sad shayari