सुनो कुछ कहना था तुमसे थोड़ी देर और रुकना वो हँसी बिखेरनी है फिरसे पता है मैं आज भी तुम्हे उतना ही मानता हूँ उतना ही लगाव रखता हूँ बस फ़र्क़ अब ये है साथ नही चाहता मैं बहुत थक गया हूँ यार तुम्हे अहसास दिलाते-दिलाते थक गया हूँ खुद को बार-बार हराते-हराते यार तुम्हारे बिना भी तो जिंदगी है न मेरी अब थक गया हूँ तुम्हारे पीछे भागते-भागते मुझे पहले ही समझ आना चाहिए था कि तुम्हारे लिए कुछ भी नही हूँ मैं पर कोशिश पूरी कर रहा था मैं कि शायद कुछ बन सकूँ मैं शायद कभी तुम्हे दिखे की तुम्हे कितना चाहता,मानता हूँ मै तुम्हे भी कभी फिक्र हो मेरी जब कभी जवाब देने में देरी करता हूँ मैं पर तुम्हें कोई खास मतलब नही था मुझसे तुम्हारा जब मन करता था तुम बात कर लेती थी हँसके मुझे बस थोड़ा सा वक़्त चाहिए था तुम्हारा प्यार की उम्मीद थोड़ी न की थी मैंने पर ज़रूरत के बाद तुमने कभी याद ही नही किया शायद ये मांग ही थोड़ी गलत कर दी थी मैंने तुमसे नफरत भी करने की कोशिश की मैने पर नाराज़ भी न हो पाया दुनिया में सिर्फ एक तुम ही थोड़ी हो फिर क्यों मैं कोई और ढूंढ नही पाया तुमसे या मुझसे अच्छा और है नही क्या होंगे तुमसे या मुझसे बेहतर लोग और मिलेंगे नही क्या मिलेंगे पर तुम्हे ज़िन्दगी से निकालूँ कैसे इस दिल से उतारू कैसे किसी और को इतना चाहूं कैसे अब बहुत हो गया यार तुम्हे याद नही करना तुम्हें पसंद तो आज भी करता हूँ पर अब तुम्हें हासिल नही करना बहुत कोशिश कर ली और बहुत सह लिया अब और नही होगा मुझसे खुद को इतना भी नही गिरा सकता न कि मैं ही न बचूं फिर खुद में कभी कभी पीछे हटने में ही समझदारी होती है जब आगे के रास्ते बंद हो जिसे जितना मिलना होता है मिल जाता है वो कैसे मिले जो किस्मत में ही न हो मैं थक गया हूँ तुम्हे समझाते समझाते थक गया हूँ खुद को मनाते मनाते अब नही देखा जाता ख़्वाब तुम्हारे मुझसे थक गया हूँ तुम्हे भूलाते-भुलाते अब जब तुम मुझे चाहिए ही नही हो फिर भी ख्याल से क्यों नही हटती जिस तरह से प्यार हुआ तुमसे उस तरह से नफरत क्यों न होती? सुनो कुछ कहना था तुमसे थोड़ी देर और रुकना वो हँसी बिखेरनी है फिरसे पता है मैं आज भी तुम्हे उतना ही मानता हूँ उतना ही लगाव रखता हूँ बस फ़र्क़ अब ये है साथ नही चाहता मैं बहुत थक गया हूँ यार तुम्हे अहसास दिलाते-दिलाते थक गया हूँ खुद को बार-बार हराते-हराते